पिछले कई दिनों से यमकनमरडी गाँव मे जमातों के बीच ना इत्तेफाकी देखने को मिल रही है। ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। दो गुटों मे चल रहा मन मुठाव बढ़ते ही जा रहा है। बात कोर्ट कचेरी तक पहुँच चुकी है। आपसी झगड़े मे सियासत दाखिल होने के वजह से मामला दिन ब दिन और भी बदतर होता नजर आरहा है। 19 ऑक्टोबर को सिकंदर पकाली इनकी माँ का इंतेकाल होता है। जिसकी खबर गाँव मे देने से मुश्ताक नामी दावती मना करता है। सिकंदर पकाली इन्होंने आरोप लगाया है की गाँव के स्वयं घोषित जमात वालों ने इन्हे तकलीफ देने के लिए प्लान कर ऐसा किया है। एक लंबे समय से बिना भेद भाव के सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। लेकिन जब हम सवाल पूछने लगे तब से गाँव गुठों मे बट गया। मामला कोर्ट मे होने के बावजूद भी हमे इन परेशानियों से गुजरना पढ़ रहा है। ये ऐसा पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी ऐसे मामले पेश आए है। अब यहाँ सवाल ये खड़ा होता है के, जमातों मे सियासत का क्या काम है ?। किसी के सवाल पूछने पर उनका बायकॉट करना किस हद तक सही है?। जमात लोगों की परेशानियों को दूर कर राहत देने का काम करती है, ना के किसी के खुशी और ग़म के वक्त उन्हे तकलीफ देने का काम।
कल हमने देखा के यमकनमरडी से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद हुक्केरी मे पंचमसाली लिंगायत समाज के रिज़र्वेशन के लिए अलग अलग पार्टियों के दिग्गज पंचमसाली समाज के नेता एक मंच पर बैठ कर अपने समाज की तरक्की के लिए आवाज उठा रहे है। इनसे मुसलमानों को सियासत सीखने की जरूरत है। इनके इस कदम ने दुनिया को ये दिखा दिया के हमे हमारा समाज सियासी पार्टियों से मुख्य है। जब बात समाज की आएगी हम सब इन पार्टियों को एक तरफ रख समाज की उन्नति के लिए एक हो जाएंगे। हम आशा करते है की यमकन मरडी गाँव के लोगों को ये बात समझ मे आएगी। बेल्गाम एक्सप्रेस के लिए रमज़ान मकानदार की रिपोर्ट।